कांग्रेस शुरु से ही शहीदो पर राजनीति करती आई है...अब ऊनका साथ कुछ टुटपुंजिया पार्टिया दे रही है...
लालू,मुलायम,पासवान,करुणानिधी सब चोर है.....
असली
मास्टरमाइंड तो ये हैं जो आतंक की भाषा बोलते हैं........जो लोग पकड़े गए हैं उन्हें कानूनी सहायता मिलनी ही चाहिए। हमारा संविधान-कानून उन्हें इसका अधिकार देता है लेकिन ये सहायता देना किसी संस्थान का काम नहीं है।
ये जामिया मिलिया का काम नहीं है।’
जामिया एनकाउंटर पर उठ रहे सवालों, उनके निहितार्थ, उनके असर और उनके कारणों पर होगी बहस....लम्बी बहस....तीखी बहस
क्योंकी मुद्दा गरम है.....
Thursday, October 9, 2008
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2 comments:
लालू,मुलायम,पासवान,करुणानिधी सब चोर है... theek hai agar kuch cheejon ke bare mein ham janate hain ya dharna bana lete hain to bhi hame sab kuch itna khul ke nahi bol dena chahiye... apni bhavanaon ko aap yu hi sarvajanik bol ya thop nahi sakate hain... kya koi writer public me aisi bhasa likh sakta hai... aapki bhasa se kabhi bhi sahmat nahi hua ja sakata... aap ne is lekh me samvidhan ki bhi baat ki hai. usi tarah inko chor aap nahi court thahra sakti hai...
प्रिय अजीत तुम कभी कभी एक दम ऊर्जा हीन से क्यों लगते हो माना भाषा का फेर है मगर दोस्त धारा कानून तो नेता और डरपोक लोग बनाते हैं इसी कोडीफिकेशन ने तो इस न्याय को उपेक्षित कर दिया जो कभी मानवता की पहचान थी। मुझे ये स्वीकारने में कोई ग़ुरेज़ नहीं कि नवीन की भाषा एक दम ललकारने वाली होती है,यूँ लगता है के वह पन्नों पर नही आमने-सामने हो,लेकिन क्या इसका मतलव ये कि उसे पढा न जाये मयंक नाम के स्वंसिद्ध विद्वान के सुझाव पढ-पढ कर लगा कि इस छद्म विचार वार्ता को कुछ नवीनता देनी चाहिये। तो मित्र आज से हम एक स्वस्थ बहस इस ब्लॉग के माध्यम से करेंगे। मुद्दा वेशक यही रहेगा क्योंकि अब सच्ची धर्म-निर्पेक्ष धारणा को परिभाषित करना है और इसे ही अंगीकृत भी करना है। तो आइये स्वागतम्........
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