पिछले कई दिनो से ऊडीसा मे हिंसा जारी है...और इस हिंसा मे अब तक कई लोग मारे जा चुके है....
ईसाइयो के खिलाफ हिंसा भडकाने मे सबसे बडा हाथ कांग्रेस का है...ऐसा अंदेशा है कि कांग्रेस के राज्य सभा सांसद आर के नायक के दिशा निर्देशन और ऊनकी ऊपस्तिथी मे ही इस सुन्दरकाण्ड को अंजाम दिया गया हो...
84 साल के स्वामी लक्ष्मनानंद जो कि धर्मान्तरण विरोधी और पुनः धर्म में वापसी के खिलाफ अभियान चला रहे थे,ऊनकी हत्या जनमाष्टमी के दिन करने की साज़िश छह महीने पहले तैयार की गई थी...
पूरे मामले की साज़िश की तैयारी स्थानीय संगठन ने तैयार किया हुआ था जबकि दूसरे संगठन को इस तैयारी को अमली जामा पहनाने के लिए तैयार किया गया...
संगठन ने तीन-चार माओवादियों को स्वामी जी की हत्या करवाने के लिए धन दिया था....
स्वामीजी की हत्या माओवादी संगठन के नेतृत्व में की गई...जबकि टीम के बाकी सदस्यों में स्थानीय युवकों को शामिल किया गया...स्वामी जी और उनके चार शिष्यों को तितर-बितर करने के लिए एके- 47 से गोलियां चलाई गई...
बाद में उनकी हत्या की पुष्टि के लिए हत्यारों ने एड़ी की नसों को काट दिया...
इसके तुरंत बाद सीपीआइ (माओवादियों) ने उनकी हत्या की जिम्मेदारी ले ली...
इस जधन्य हत्याकांड के बाद राज्य के कंधमाल जिले में ईसाइयों के खिलाफ हिंसा फैल गयी...जो अभी तक अनवरत जारी है...
इस हिंसा से नवीन पटनायक सरकार के प्रसाशनिक काबीलियत पर सवालिया निशान लग गया एवं भाजपा के चरित्र पर ऊंगलिया ऊठने लगी...
केन्द्र सरकार ऊडीसा सरकार को हर तरफ से घेरने मे लगी हुई है....आनन फानन मे हिंसा का ईकलौता जिम्मेदार बजरंग दल को ठहरा दिया गया...
देश मे लगातार हो रही आतंकी घटनाओ के पीछे शामिल सिमी जैसे आतंकवादी संगठनो के समर्थन मे जो लोग ऊतरे हुए है ऊन्हे यह सुनकर शर्म आनी चाहिए कि पुलिस रिमांड में पूछताछ के दौरान प्रतिबंधित संगठन सिमी के कोषाध्यक्ष मो अली ने भारतीय संविधान के प्रति अविश्वास व्यक्त करते हुए बताया
कि सिमी संगठन इस्लाम धर्म पर विश्वास करता है और पूरी दुनिया को इस्लाम धर्म के अनुसार चलाना चाहता है और इसके लिए वह कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है...
ऐसे वक्तव्य देने के बाद भी लालु,पासवान और अर्जुन सिंह सिमी का समर्थन करते हुए दिखते है....ऐसी ओछी राजनिती से देश का कोई कल्याण नही होने वाला है...
और
देश जब आर्थिक प्रगती के पथ पर अग्रसर हो और ऊस समय ऐसे हालात हो तो यह देश का दुर्भाग्य ही होगा....
और ऐसे मे जब कांग्रेस सांप्रदायिक तुष्टीकरण मे लगी हो तो और भी बडा दुर्भाग्य होगा...
अभी हाल ही मे एकता परिषद की बैठक मे इन मुद्दो पर कांग्रेस और भाजपा एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप की राजनीती करते रहे...और परिणाम के नाम पर केवल सुर्खिया ही निकली क्योंकी चुनावो का समय आ चुका है...
दोनो ही शीर्ष पार्टीयो को सोचना होगा कि सांप्रदायिक तुष्टीकरण और राष्ट्रीय एकीकरण एक साथ नही हो सकता...
जय भारत...नवीन सिंह...
Friday, October 17, 2008
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